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Village

My village
Saidpur Pyare Lal Bhojipura Bareilly UP

Villages are the traditional settlements that are found in many parts of the world. They are often more rural and isolated than cities, but they still provide essential services and amenities to their inhabitants. Villages have been around for thousands of years, and they continue to be important to many societies today. Villages offer a unique way of life that is often based around the traditions of the local culture. They are usually small, with populations of around 500-1000 people. Villages are often centred on a plaza or common area, which serves as the center of activity for the village.

Villages usually contain a few basic amenities such as shops, schools, and sometimes hospitals. Villages are usually surrounded by farmland, and many of the people who live in villages are involved in agriculture. This can include growing crops, raising livestock, or fishing. Farming and fishing are both important sources of food and income for many people living in villages. Villages often have a strong sense of community, with people helping each other and sharing resources. Villagers often gather together for religious festivals, weddings, and other special occasions. Villages often have their own unique customs and traditions, which are passed down from generation to generation.

What is My Village?

Gram Panchayat, a village is a clustered human settlement or community, larger than a hamlet but smaller than a town, with a population typically ranging from a few hundred to a few thousand. Though villages are often located in rural areas, the term urban village is also applied to certain urban neighborhoods. Villages are normally permanent, with fixed dwellings; however, transient villages can occur. Further, the dwellings of a village are fairly close to one another, not scattered broadly over the landscape, as a dispersed settlement.

In the past, villages were a usual form of community for societies that practice subsistence agriculture, and also for some non-agricultural societies. In Great Britain, a hamlet earned the right to be called a village when it built a church. In many cultures, towns and cities were few, with only a small proportion of the population living in them. The Industrial Revolution attracted people in larger numbers to work in mills and factories; the concentration of people caused many villages to grow into towns and cities. This also enabled the specialization of labor and crafts and the development of many trades. The trend of urbanization continues, though not always in connection with industrialization. Historically homes were situated together for sociability and defense, and land surrounding the living quarters was farmed. Traditional fishing villages were based on artisan fishing and were located adjacent to fishing grounds.

Gram Panchayat
स्थानीय स्वशासन

What is Gram Panchayat?

Gram Panchayat (transl. ’Village council’) is a basic village-governing institute in Indian villages. It is a democratic structure at the grassroots level in India. It is a political institute, acting as a cabinet of the village. The Gram Sabha work as the general body of the Gram Panchayat. The members of the Gram Panchayat are elected by the Gram Sabha. There are about 250,000 Gram Panchayats in India.http://ieindia.org/

History of Gram Panchayat

Established in various states of India, the Panchayat Raj system has three tiers: Zila Parishad, at the district level; Nagar Palika, at the block level; and Gram Panchayat, at the village level. Rajasthan was the first state to establish Gram Panchayat, Bagdari Village (Nagaur District) being the first village where Gram Panchayat was established, on 2 October 1959.

The failed attempts to deal with local matters at the national level caused, in 1992, the reintroduction of Panchayats for their previously used purpose as an organization for local self-governance.

Election of Gram Panchayat

A Gram panchayats term of office is five years. Every five years elections take place in the village. All people over the age of 18 who are residents of the territory of that village’s Gram panchayat can vote.

For women’s empowerment and to encourage the participation of women in the democratic process, the government of India has set some restrictions on Gram panchayat elections, reserving one-third of the seats for women, as well as reserving seats for scheduled castes and tribes.

भारत की पंचायती राज प्रणाली में गाँव या छोटे कस्बे के स्तर पर ग्राम पंचायत या ग्राम सभा होती है जो भारत के स्थानीय स्वशासन का प्रमुख अवयव है। सरपंच] ग्राम सभा का चुना हुआ सर्वोच्च प्रतिनिधि होता है। प्राचीन काल से ही भारतवर्ष के सामाजिक] राजनीतिक और आर्थिक जीवन में पंचायत का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। सार्वजनिक जीवन का प्रत्येक पहलू इसी के द्वारा संचालित होता था।

पंचायती राज व्यवस्था

पंचायती राज व्यवस्था] ग्रामीण भारत की स्थानीय स्वशासन की प्रणाली है। जिस तरह से नगरपालिकाओं तथा उपनगरपालिकाओं के द्वारा शहरी क्षेत्रों का स्वशासन चलता है, उसी प्रकार पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों का स्वशासन चलता है। पंचायती राज संस्थाएँ तीन हैं- ¼ https://www.gaonconnection.com/

  1. ग्राम के स्तर पर Gram Panchayat
  2. ब्लॉक (तालुका) स्तर पर पंचायत समिति
  3. जिला स्तर पर जिला परिषद

इन संस्थाओ का काम आर्थिक विकास करना, सामाजिक न्याय को मजबूत करना तथा राज्य सरकार और केन्द्र सरकार की योजनाओं को लागू करना है, जिसमें ११वीं अनुसूची में उल्लिखित २९ विषय भी हैं।

भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राज व्यवस्था आस्तित्व में रही हैं। आधुनिक भारत में प्रथम बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के बगधरी गांव में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई।

Gram Panchayat
Gram Panchayat एवं ग्राम सभा की संरचना

India “The soul of India lives in its villages,” declared Mahatma Gandhi at the beginning of 20th century. According to the 2011 census of India, 69% of Indians (around 833 million people) live in 640,867 different villages. The size of these villages varies considerably. 236,004 Indian villages have a population of fewer than 500, while 3,976 villages have a population of 10,000+. Most of the villages have their own temple, mosque, or church, depending on the local religious following. (http://hamaripanchayat.up.gov.in/) (https://www.panchayat.gov.in/hi/web/ministry-of-panchayati-raj-2) (https://rural.nic.in/).

ग्राम पंचायत का अर्थ

Gram Panchayat का शाब्दिक अर्थ है- गाँव के लोगों द्वारा चुने हुए पाँच आदमियों की सभा। गाँधी के पंचायत राज में सबसे नीचे की इकाई गाँव है और इसकी कार्य पालिका ग्राम पंचायत है। गाँव का शासन पाँच व्यक्तियों की पंचायत चलायेगी जो न्यूनतम निर्धारित योग्यता रखने वाले वयस्क स्त्री पुरुषों द्वारा प्रतिवर्ष चुनी जायेगी। इन पंचों के पास समस्त प्राधिकार और अपेक्षित क्षेत्राधिकार होंगे। चूँकि दण्ड का सामान्यता जो अर्थ लगाया जाता है उस अर्थ में कोई दण्ड-प्रणाली लागू नहीं होगी, इसलिए पंचायत ही अपने कार्य काल के दौरान विधायिका, न्यायपालिका और कार्य पालिका तीनों को स्वयं मे समाविष्ट करते हुए उनके कर्तव्य का निर्वाह करेगी।

संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को मजबूती प्रदान की गई है। इस अधिनियम के द्वारा स्थानीय स्वशासन व विकास की इकाइयों को एक पहचान मिली है। त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था में Gram Panchayat ग्राम विकास की पहली इकाई मानी गई है। गांव के लोगों के सबसे नजदीक होने के कारण इसका अत्यधिक महत्व है। ग्राम प्रधान, उप प्रधान व सदस्यों से मिलकर ग्राम पंचायत बनती है। ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों का चयन ग्राम सभा के सदस्य चुनाव के द्वारा करते है। अत: ग्राम सभा के सदस्यों से इसका सीधा नाता होता है। ग्राम पंचायत ग्राम सभा के निर्देशन में ग्राम सभा के सदस्यों की समस्याओं के समाधान हेतु कार्य करती है। गांव के विकास व सामाजिक न्याय की योजना बनाना इनका प्रमुख काम है।

कई लोगों का मानना है कि पंचायत लोगों की आवाज व आवश्यकताओं को केन्द्र तक पहुँचाने का एक कारगर मंच हो सकता है। अत: पंचायत सही मायने में लोगों की आवाज बने इसके लिये जरूरी है कि Gram Panchayat की बैठकें बराबर होती रहें और इसमें सभी सदस्यों की उचित भागीदारी हो। एक ग्राम पंचायत तभी सशक्त हो सकती है जब हर सदस्य अपने विचारों को पंचायत की बैठक में बिना किसी संकोच के रख सके, गांव की समस्याओं तथा अन्य मुद्दों पर चर्चा करें और उनके निदान के लिये प्रयत्न करे।

ग्राम पंचायत का गठन

सर्व प्रथम यह जानना जरूरी है कि ग्राम पंचायत का गठन कैसे होता है। त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था की पहली इकाई ग्राम पंचायत में एक प्रधान व कुछ सदस्य होते हैं। ग्राम पंचायत के सदस्यों की संख्या पंचायत क्षेत्र की आबादी के अनुसार इस प्रकार से होगी –

500 तक की जनसंख्या पर –      05 सदस्य

501 से 1000 तक की जनसंख्या पर –     07 सदस्य

1001 से 2000 तक की जनसंख्या पर –     09 सदस्य

2001 से 3000 तक की जनसंख्या पर –     11 सदस्य

3001 से 5000 तक की जनसंख्या पर –     13 सदस्य

5000 से अधिक की जनसंख्या पर –     15 सदस्य

प्रधान तथा 2 तिहाई सदस्यों के चुनाव होने पर ही पंचायत का गठन घोषित किया जायेगा।

Gram Panchayat
ग्राम पंचायत की समितियां

ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों के चुनाव

1. प्रधान का चुनाव (धारा- 11- ख – 1) – ग्राम सभा सदस्यों द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली द्वारा प्रधान का चुनाव किया जायेगा। यदि पंचायत के सामान्य चुनाव में प्रधान का चुनाव नहीं हो पाता है तथा पंचायत के लिए दो तिहाई से कम सदस्य ही चुने जाते है उस दशा में सरकार एक प्रशासनिक समिति बनायेगी। जिसकी सदस्य संख्या सरकार तय करेगी। सरकार एक प्रशासक भी नियुक्त कर सकती है। प्रशासनिक समिति व प्रशासक का कार्यकाल 6 माह से अधिक नहीं होगा। इस अवधि में ग्राम पंचायत, उसकी समितियों तथा प्रधान के सभी अधिकार इसमें निहित होंगे। इन छ: माह में नियत प्रक्रिया द्वारा पंचायत का गठन किया जायेगा।

2. उपप्रधान का चुनाव (धारा- 11 – ग – 1) – उप प्रधान का चुनाव ग्राम पंचायत के सदस्यों के द्वारा अपने में से ही किया जाऐगा। यदि उप प्रधान का चुनाव न हो पाये तो नियत अधिकारी किसी सदस्य को उप प्रधान मनोनीत कर सकता है।

ग्राम पंचायत का कार्यकाल 

Gram Panchayat की पहली बैठक के दिन से 5 साल तक ग्राम पंचायत का कार्यकाल होता है। यदि पंचायत को उसके कार्यकाल पूर्ण होने के 6 माह पूर्व भंग किया जाता है तो ग्राम पंचायत में पुन: चुनाव करवाकर पंचायत का गठन किया जाता है। इस नवनिर्वाचित पंचायत का कार्यकाल 5 वर्ष के बचे हुए समय के लिए होगा अर्थात बचे हुए छ: माह के लिए ही होगा।

ग्राम पंचायतकी बैठक

पंचायतीराज को स्थानीय स्वशासन की इकाई के रूप में स्थापित करने की दिशा में पंचायतों में ग्राम सभा व ग्राम पंचायतों की बैठकों का आयोजन विशेष महत्व रखता है। 73वें संविधान संशोधन के द्वारा जो नई पंचायत व्यवस्था लागू हुई है उसमें ग्राम पंचायतों व ग्राम सभा की बैठकों का आयोजन वैधानिक रूप से आवश्यक माना गया है। यही नहीं इन बैठकों में प्रधान व उप-प्रधान सहित अन्य पंचायत सदस्यों की भागेदारी अत्यन्त आवश्यक है। इसके साथ ही ग्रामीण विकास से जुड़े विभिन्न रेखीय विभाग के प्रतिनिधियों द्वारा भी बैठक में भागीदारी की जायेगी। महिला, दलित व पिछड़े वर्ग के लोगों की भागीदारी के बिना बैठकों का कोई महत्व नहीं है। अत: पंचायतों की बैठकों का नियमित समय पर आयोजन व उन बैठकों में समस्त प्रतिनिधियों की भागीदारी विकेन्द्रीकरण की दिशा में किये गये प्रयासों को साकार करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।

अक्सर यह देखा गया है कि ग्राम सभा या ग्राम पंचायतों की बैठकों में प्रतिनिधियों व ग्राम सभा सदस्यों की समुचित भागीदारी न होने से बैठकों में दो-चार प्रभावशाली लोगों द्वारा ही निर्णय लेकर ग्राम विकास के कार्य किये जाते हैं। अत: अगर ग्रामस्वराज या स्थानीय स्वशासन को मजबूत बनाना है तो पंचायत प्रतिनिधियों व ग्राम सभा के सदस्यों को अपनी जिम्मेदारी का अहसास होना जरूरी है। साथ ही इन बैठकों को पूरी तैयारी के साथ आयोजित किया जाना चाहिए।

ग्राम पंचायत की बैठक के आयोजन से संबंधित कार्यवाही

Gram Panchayat की बैठक प्रत्येक माह में एक बार जरूर होनी चाहिये। जिस गांव में पंचायत घर होगा वहीं बैठक होगी। दो लगातार बैठकों के बीच दो माह से अधिक का अन्तर नहीं होना चाहिये।

  1. पंचायत की बैठक की सूचना निश्चित तारीख के कम से कम पांच दिन पहले लिखित नोटिस से सदस्यों को दी जायेगी। सूचना को ग्राम के प्रमुख स्थानों पर चिपकाना होगा। 
  2. प्रधान पंचायत की बैठक की अध्यक्षता करेगा/करेगी तथा समय, स्थान व तारीख तय करेगा/करेगी। उसके गैर हाजिरी में उपप्रधान द्वारा बैठक की अध्यक्षता की जायेगी।प्रधान, उपप्रधान दोनों की गैर हाजिरी में प्रधान बैठक में अध्यक्षता के लिए किसी सदस्य का नाम पहले दे सकता/सकती है या उसके द्वारा चुना अधिकारी किसी सदस्य का नाम अध्यक्षता के लिये दे सकता/सकती है। इन सब की नामौजूदगी में ग्राम पंचायत किसी सदस्य को बैठक की अध्यक्षता करने के लिये चुन सकती है।
  3. पंचायतेां की बैठकों में सदस्यों की एक तिहाई संख्या का होना जरूरी है इसे कोरम कहते है। जिसके बिना बैठक नहीं हो सकती। सरल शब्दों में पंचायत सदस्य, प्रधान ओर उपप्रधान को मिला कर पूरे सदस्यों की संख्या यदि 18 है तो 6 के होने पर बैठक हो सकेगी। कोरम के न होने से यदि बैठक नहीं हो सके तो सदस्यों को दुबारा नोटिस देना होगा। इस बैठक में कोरम की जरूरत नहीं होगी।
  4. पंचायत के एक तिहाई सदस्य यदि लिख कर बैठक बुलाने की मांग करें तो 15 दिन के अन्दर प्रधान को बैठक बुलानी होगी। अगर किसी कारण वश प्रधान बैठक नहीं बुलाता है तो ए. डी. ओ. पंचायत द्वारा बैठक बुलाई जायेगी। 
  5. बैठक की कार्यवाही को एक रजिस्टर में लिखा जायेगा जिसे “एजेन्डा रजिस्टर” कहते हैं। 

बैठक से पहले-

  1. ग्राम पंचायतों की हर माह होने वाली बैठक में प्रतिनिधि, वार्ड की समस्याओं पर चर्चा, विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत हुए आय-व्यय का ब्यौरा, जिला या ब्लाक से मिली सूचना का आदान-प्रदान करते हैं।
  2. इस बैठक में पंचायत राज अधिकारी भी भागीदारी करते हैं। अत: प्रधान को बैठक में उपस्थित होने वाले लोगों की सूची, किन विषयों पर चर्चा होगी उसका एजेण्डा या कार्य सूची तैयार कर लेनी चाहिए। 
  3. बैठक का स्थान सभी की सुविधा व महिलाओं की पहुँच को ध्यान में रखकर तय करना चाहिए।
  4. जिस विषय पर बैठक हो रही है उससे सम्बन्धित जानकार लोगों को भी बैठक में बुलाना चाहिए ताकि उनके सुझावों का लाभ लिया जा सके। अगर कार्यक्रम नियोजन को लेकर बैठक है तो नियोजन से सम्बन्धित विभागीय विशेषज्ञ को बैठक में बुलाना चाहिए। यदि वित्त प्रबन्धन से सम्बन्धित बैठक है तो वित्त से सम्बन्धित विशेषज्ञ को बैठक में बुलाना चाहिए। 
  5. बैठक का एजेण्डा बनाते समय सरल व स्पष्ट शब्दों का प्रयोग करें व विषयों को क्रमानुसार रखें। साथ ही बैठक प्रारम्भ होने व समाप्त होने का समय अवश्य लिखा होना चाहिए।
  6. बैठक का समय ऐसा हो जिसमें अधिक से अधिक प्रतिनिधियों की भागीदारी हो, महिलाओं पर अत्यधिक कार्यबोझ होने से उनकी बैठक में अनुपस्थिति अधिक रहती है। अत: प्रधान को महिलाओं की समस्या के प्रति संवेदनशील रहते हुए बैठक का समय ऐसा रखना चाहिए ताकि महिला प्रतिनिधि सक्रिय रूप से भागीदारी कर सकें।
  7. महिला सदस्यों की भागेदारी सुनिश्चित करने के लिए बैठक से पूर्व ही उनको बैठक में आने के लिए प्रेरित करना चाहिए। यह एक योग्य व सक्रिय प्रधान का कर्तव्य भी है। 
  8. बैठक के आयोजन से पूर्व प्रधान को गांव के सभी सदस्यों व गांव के लोगों का बैठक के बारे में बताना चाहिए। व प्रत्येक सदस्य के घर एजेण्डा भेजकर सदस्यों द्वारा उठाये जाने वाले मुद्दों की सूचना भी एकत्र करनी चाहिए।

ग्राम पंचायत की कार्यवाही 

Gram Panchayat की कार्यवाही के कुछ कायदे हैं जिनका ध्यान हर ग्राम प्रधान को रखना चाहिय। बैठक में सर्वप्रथम पिछली बैठक की कार्यवाही पढ़कर सुनाई जायेगी तथा सदस्यों द्वारा सर्व सम्मति से पारित होने पर प्रधान उस पर अपने हस्ताक्षर करेगी/करेगा। इसके पष्चात पिछले माह में किये गये विकास कार्यों को सबके सामने बैठक में रखा जायेगा व उससे सम्बन्धित हिसाब-किताब व व्यय को ग्राम पंचायत के सामने रखकर उस पर विचार किया जायेगा। अगर राज्य, जिला व ब्लाक स्तर से पंचायत को कोई महत्वपूर्ण सूचना मिली है तो उसको पंचायत की बैठक में पढ़कर सुनाया जायेगा। ग्राम पंचायत की बैठक में ग्राम पंचायत की समितियों की कार्यवाही पर भी विचार होगा। इन कार्यों के पष्चात मतदाता सूची, परिवार रजिस्टर, जन्म मृत्यु रजिस्टर में किये गये व किये जाने वाले नामांकन या बदलाव पर चर्चा की जायेगी।यदि कोई पंचायत सदस्य प्रशासन या कृत्यों से सम्बन्धित किसी विषय पर प्रस्ताव लाना चाहे या प्रश्न उठाना चाहे तो उसकी एक लिखित सूचना बैठक से 11 दिन पहले प्रधान या उपप्रधान को देनी होगी। प्रधान किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार करने के सम्बन्ध में निर्णय लेगा/लेगी। प्रस्ताव या प्रश्न नियम के अनुसार होने चाहिये व विवाद बढ़ाने वाले मनगढ़ंत या किसी जाति/ व्यक्ति के लिये अपमानजनक नहीं होने चाहिये। यदि कोई भी प्रस्ताव या प्रश्न संविधान के नियमों के अनुरूप नहीं है तो प्रधान उन्हें पूछने के लिये मना कर सकती/सकता है।

Gram Vikas
village-information

बैठक के दौरान ध्यान देने वाली बातें

प्रधान Gram Panchayat का मुखिया होने के नाते बैठक का आयोजन करती/करता है। बैठक के दौरान अपने विचारों को ठीक प्रकार से रखना, चर्चा का सही रूप से संचालन करना, बैठक में उठाये मुद्दों पर सदस्यों को सन्तुष्ट करना जैसे अनेक बातें हैं जिन्हें प्रधान को बैठक के दौरान ध्यान में रखनी है।

  1. बैठक के प्रारम्भ में प्रधान सभी सदस्यों का स्वागत करना चाहिए तथा बैठक के एजेण्डा को सभी सदस्यों के सम्मुख रखना चाहिए। प्रधान को यह ध्यान रखना है कि अपनी बात रखते समय वह सभी उपस्थित लोगों की तरफ देख कर अपनी बात को कहे। केवल एक ही व्यक्ति की तरफ देखते हुए अपनी बात नहीं कहनी चाहिए। चर्चा के दौरान यदि कोई दूसरा बोल रहा हो तो उसे बीच में नही टोकना चाहिए अपितु बोलने वाले को अपनी बात समाप्त करने का मौका देना चाहिए।
  2. बैठक में यदि कोई सदस्य अपनी बात रख रहे हों तो अपनी बात शुरू करने से पहले ‘माननीय’ प्रधान जी या अध्यक्ष जी कह कर सम्बोधन करना चाहिए। 
  3. यदि बैठक में कोई प्रश्न पूछना है या कोई सूचना देनी है तो प्रधान की अनुमति लेकर अपनी बात रखी जा सकती है। और यदि कोई बात आपकी समझ में न आयी हो तो वह भी प्रधान की अनुमति मांगकर स्पष्ट की जा सकती है।
  4. अगर किसी मुद्दे पर चर्चा विषय से हट गई हो तो ऐसी स्थिति में हस्तक्षेप द्वारा चर्चा को पुन: मुद्दे पर लाना चाहिए व चर्चा को संतुलित बनाये रखना चाहिए।
  5. कुछ सदस्य खासकर महिलाएं, दलित व पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधि अपनी बात नहीं रखते व बैठक में चुप्पी साधे रहते हैं। अत: प्रधान व सक्रिय सदस्यों को चाहिए कि वे उन लोगों को विशेष रूप से प्रेरित करें, उन्हेंं अपनी बात रखने के लिए उचित वातावरण प्रदान करें ताकि महिलाएं बिना झिझक, संकोच व डर के अपनी बात को बैठक में रख सकें। 

बैठक का समापन – बैठक के समापन से पहले बैठक में लिये गये निर्णयों को एक बार सभी को पढकर सुनाना चाहिए व उसके क्रियान्वयन से सम्बन्धित जिम्मेदारी भी तय हो जानी चाहिए। जिम्मेदारी सुनिश्चित करते समय यह भी तय कर लेना चाहिए कि अमुक कार्य कब पूरा होगा। बैठक की कार्यवाही सुनाने के पश्चात उस पर प्रधान ग्राम पंचायत तथा ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (पंचायत सचिव) के हस्ताक्षर करवाने चाहिए। बैठक समापन करते समय प्रधान/अध्यक्ष को बैठक में उपस्थित सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद करना चाहिए। बैठक की कार्यवाही की एक प्रति सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) /खण्ड विकास अधिकारी को भेजनी चाहिए।

ग्राम प्रधान के कार्य एवं अधिकार

  1. ग्रामसभा की एवं ग्राम पंचायत की बैठक बुलाना व बैठक की कार्यवाही पर नियन्त्रण करना। 
  2. ग्राम पंचायतों में चल रही विकास योजनाओं, निर्माण कार्य व अन्य कार्यक्रमों की जानकारी रखना। 
  3. पंचायत की आर्थिक व्यवस्था और प्रशासन की देखभाल करना तथा इसकी सूचना गांव वालों को देना।
  4. पंचायती राज संम्बन्धी विभिन्न रजिस्टरों का रखरखाव करना व ग्राम पंचायत द्वारा रखे गये कर्मचारियों की देखभाल करना।
  5. Gram Panchayat के कार्यों को क्रियान्वित करना व सरकारी कर्मचारियों से आवश्यक सहयोग लेना व सहयोग देना।
  6. ग्रामपंचायत संम्बन्धी संम्पत्तियों की सुरक्षा व्यवस्था करना तथा ग्राम पंचायत द्वारा निर्धारित विभिन्न शुल्कों की वसूली भी सुनिश्चित करना। 

ग्राम पंचायत सचिव के कार्य एवं अधिकार 

पंचायत सचिव का प्रथम कार्य पंचायत अधिनियम व उसके अन्र्तगत बने नियमों , विभागीय आदेशों का सावधानी से अध्ययन करना व उनका पालन सुनिश्चित करवाना है।

  1. ग्राम पंचायत कार्यालय को व्यवस्थित करना तथा पंचायत के समस्त अभिलेखों का विषयवार रख-रखाव करना सचिव का कर्तव्य है। इसके साथ ही पंचायत के पुराने अभिलेखों को पंजीबद्ध करके सुरक्षित रखना होता है।
  2. विभिन्न योजनाओं हेतु पात्र लाभार्थियों का सर्वेक्षण करना। 
  3. प्रधान की सहमति से ग्राम पंचायत की बैठक बुलाने की कार्यवाही करनी होती है साथ ही बैठक का एजेण्डा भी तैयार करना होता है। सचिव को पंचायतों की बैठकों की समय पर सभी सदस्यों को सूचना देनी होती है। बैठक में जो सदस्य उपस्थित नहीं हैं, उनकी सूचना प्रधान केा देनी होती है। सचिव ही ग्राम पंचायत की बैठकों की कार्यवाही का लेखन करता है। 
  4. विकास खण्ड द्वारा मांगी गई सूचनाओं को ग्राम पंचायत द्वारा समय से प्रेषित करना होता है। 
  5. सचिव द्वारा ग्राम पंचायत में विकास कार्यों के सम्पादन में ग्राम पंचायत व पंचायत समितियों को सहयोग दिया जाता है। ग्राम पंचायत की समितियों की बैठकों की कार्यवाही का विवरण रखना व उसे पंचायत की बैठक में प्रस्तुत करना सचिव का ही कार्य है। साथ ही ग्रामपंचायत का वार्षिक प्रतिवेदन हर साल निश्चित तिथि तक तैयार कर उसे पंचायत की बैठक में रखना व उनपर कार्यवाही सुनिश्चित करवाना सचिव का कार्य है। 
  6. सचिव द्वारा पंचायत में विभिन्न स्रोतों से प्राप्त राषि को पंचायत कोष में जमा करवाया जाता है , उसका हिसाब-किताब रखा जाता है तथा उनके व्यय हेतु आवश्यक कार्यवाही की जाती है। 

प्रधान, उप-प्रधान पर आन्तरिक नियन्त्रण(अविश्वास प्रस्ताव)

पंचायत राज अधिनियम की धारा- 14 व सहपठित नियम -33 ख के अन्तर्गत ग्राम पंचायत के प्रधान व उप-प्रधान को हटाये जाने की व्यवस्था की गयी है। अविश्वास प्रस्ताव से सम्बन्धित मुख्य बिन्दु हैं-

  1. Gram Panchayat प्रधान के प्रति अविश्वास प्रस्ताव लाने हेतु ग्राम सभा के कम से कम आधे सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस को कम से कम 3 सदस्य स्वयं जिला पंचायत राज अधिकारी को देंगे। 
  2. जिला पंचायत राज अधिकारी नोटिस प्राप्ति के 30 दिन के अन्तर्गत ग्राम सभा की बैठक बुलायेगें। उक्त बैठक की अध्यक्षता जिला पंचायत राज अधिकारी स्वयं करते है या इस हेतु प्रधिकृत व्यक्ति द्वारा की जाती है। 
  3. इस बैठक हेतु कोरम कुल ग्राम सभा सदस्यों का 1/5 निर्धारित है। बैठक में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की जाती है। तदुपरान्त गुप्त मतदान सम्पन्न करवाया जाता है। 
  4. अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में उपस्थित व मतदान करने वाले ग्राम सभा सदस्यों के दो तिहाई मत पड़ने की दशा में प्रस्ताव पारित समझा जाता है तथा प्रधान अपने पद से हट जाता है।
  5. प्रधान के निर्वाचन के उपरान्त एक वर्ष तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता। अविश्वास प्रस्ताव पारित न होने या बैठक में गणपूर्ति के अभाव की दशा में प्रधान के प्रति आगामी दो वर्षों तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है।
  6. उप प्रधान को हटाने हेतु उसके प्रति अविश्वास प्रस्ताव पंचायत सदस्य लाते है, बाकी नियम वही लागू होंगे जो प्रधान को पद से हटाये जाने के लिए है।

बाह्य नियंत्रण – राज्य सरकार ग्राम पंचायत के प्रधान, उप प्रधान या ग्राम पंचायत सदस्यों को हटा सकती है । यदि प्रधान, वित्तीय अनियमितता, पद का दुरूपयोग आदि कदाचार का दोषी पाया जाता है तो उसे सरकार पदच्युत कर सकती है। जांच के दौरान जिला मजिस्ट्रेट के द्वारा तीन सदस्यों की समिति गठित की जाती है तथा प्रधान के दायित्वों का निर्वहन इसी समिति के सदस्यों द्वारा किया जाता है। यदि ग्राम पंचायत सदस्य बिना कारण बताये लगातार तीन बैठकों से अनुपस्थित रहता/ रहती है, या उसके द्वारा कार्य करने से इन्कार किया जाता है अथवा पद का दुरूपयोग किया जाता है तो उसे भी राज्य सरकार पदच्युत कर सकती है।
पद रिक्त होने पर चुनाव –  पंचायत भंग होने या किसी पद के रिक्त होने के छ: माह के अन्तर्गत ही पुन: चुनाव कराये जाऐंगे। किसी भी परिस्थिति में छ: माह से अधिक समय तक पंचायतें भंग नहीं रह सकती व पंचायत का कोई पद रिक्त नहीं रह सकता है।

ग्राम पंचायत के कार्य एवं शक्तियां 


प्रत्येक स्तर पर पंचायतों के कार्यकलाप एवं दायित्वों की सूची तैयार की गई है। इस सूची के अन्तर्गत पंचायतों की 29 जिम्मेदारियां सुनिश्चित की गई हैं। संविधान के 73 संशोधन द्वारा 29 विषय पंचायतों के अधीन किये गये हैं, जिसके लिये पृथक से 73वें संविधान संशोधन में 243 जी 11वीं अनुसूची जोड़ी गई है। इस सूची में शामिल विषयों के अन्तर्गत आर्थिक विकास, सामाजिक न्याय और विकास योजनाओं को अमल में लाने का दायित्व पंचायतों का होगा। संविधान की ग्यारहवीं अनुसूचि के अन्तर्गत ग्राम पंचायतों की कुछ जिम्मेदारियां सुनिश्चित की गई है। प्रत्येक ग्राम पंचायत निम्नांकित कृत्यों का संपादन निष्ठापूर्वक करेगी। प्रत्येक स्तर पर पंचायतों के कार्यकलाप एवं दायित्वों की सूची तैयार की गई है इस सूची के अन्तर्गत पंचायतों की 29 जिम्मेदारियां सुनिश्चित की गई हैं। जिसके द्वारा पंचायती राज संस्थाओं को विभागों एवं विषयों के दायित्व सौंप गये हैं।

ग्राम पंचायत के कार्य, एवं शक्तियां 

क्र.सं.जिम्मेदारीमुख्य कार्य 
    कृषि एवं कृषि विस्तार• कृषि एवं बागवानी का विकास और प्रोन्नति।
• बंजर भूमि और चारागाह भूमि का विकास और उसके अनाधिकृत अतिक्रमण एवं प्रयोग की रोकथाम करना।
2भूमि विकास, सुधार का कार्यान्वयन और चकबन्दी• भूमि विकास, भूमि सुधार, चकबन्दी और भूमि संरक्षण में सरकार तथा अन्य एजेन्सियों की सहायता करना।
3लघु सिंचाई, जल
अनुरक्षण, व्यवस्था,
जल आच्छादन विकास
• लघु सिंचाई योजनाओं का लिर्माण, मरम्मत और  सिंचाई के उद्देश्य से जल पूर्ति का विनिमय।
4पशुपालन, दुग्ध उद्योग
तथा कुक्कुट पालन
• पालतु जानवरों कुक्कुटों और अन्य पशुओं की नस्लों में सुधार करना।
• दुग्ध उद्योग, कुक्कुट पालन तथा सुअर पालन की प्रोन्नति।
• गांव में मत्स्य पालन विकास
5सामाजिक और
कृषि वानिकी 
• सड़कों और सार्वजनिक भूमि के किनारों पर वृक्षारोपण और परिरक्षण।
• सामाजिक, वानिकी, कृषि वालिकी एवं रेशम उत्पादन का विकास करना।
6लघु वन उत्पाद • लघु वन उत्पादों की प्रोन्नति एवं विकास करना।
7लघु उद्योग• लघु उद्योगों के विकास में सहायता करना।
• कुटीर उद्योगों की प्रोन्नति।
8लघु वन उद्योग• लघु वन उत्पादन के कार्यक्रम की प्रोन्नतिऔर उसका क्रियान्वयन 
9कुटीर और ग्राम उद्योग• कृषि एवं वाणिज्यिक उद्योगों के विकास में सहायता करना।
• कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करना।
10ग्रामीण आवास• ग््रामीण आवास कार्यक्रमों को क्रियान्वयन।
• आवास स्थलों का वितरण और उनसे सम्बन्धित सभी प्रकार के अभिलेखों का रख-रक्षाव तथा अनुरक्षण।
11पेयजल • पीने, कपड़ा धोने, स्नान करने के प्रयोजनों के लिए सार्वजनिक कुओं, तालाबों, पोखरों का निर्माण
• अनुरक्षण तथा पेयजल के लिए जल सम्ीाारण के स्रोतों का विनिमय।
12र्इंधन व चारा भूमि• र्इंधन व चारा भूमि से सम्बन्धित घास और पौधों का विकास।
• चारा भूमि के अनियमित चारा पर नियंत्रण।
13पुलिया, नौकाघाट
तथा संचार के अन्य साधन
• गांव की सड़कों, पुलियों, पुलों और नौकाघाटों का निर्माण तथा अनुरक्षण।
• जल मार्गों का अनुरक्षण। सार्वजनिक स्थानों से अतिक्रमण को हटाना।
14ग्रामीण विद्युतीकरण • सार्वजनिक मार्गों तथा अन्य स्थानों पर प्रकाश उपलब्ध कराना तथा अनुरक्षण करना।
15गैर पारम्परिक ऊर्जा स्रोत• गैर पारम्परिक ऊर्जा के कार्यक्रमों को बढ़ावा देना, प्रोन्नत्ति तथा उनका अनुरक्षण 
16गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम • गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों को बढ़ावा देना, पा्रन्नत्ति एवं कार्यान्वयन।
17शिक्षा के बारे में
सार्वजनिक चेतना
• त्कनीकी प्रशिक्षण एवं व्यवसायिक शिक्षा
• ग्रामीण कला और शिल्पकारों की प्रोन्नति।
18प्रौढ़, अनौपचाकरक शिक्षा• प्रौढ़, अनौपचाकरिक शिक्षा का प्रसार।
19पुस्तकालय• पुस्तकालयों की स्ािापना एवं अनुरक्षण।
20खेलकूद एवं सांस्कृतिक कार्य• समाजिक एवं सांस्कृतिक क्रियाकलापों को बढ़ावा देना।
• विभिन्न त्यौहारों पर सांस्कृतिक संगोष्ठियों का आयोजन करना।
• खेलकूद के लिए ग्रामीण कलबों की स्थापना एवं अनुरक्षण।
21बजार एवं मेले• पंचायत क्षेत्रों के मेलों, बाजारों व हाटों को प्रोत्साहित करना।
22 चिकित्सा एवं स्वच्छता• ग््रामीण स्वच्छता को प्रोत्साहित करना।
• महामारियों के विरूद्ध रोकथाम।
• मनुष्य, पशु टीकाकरण के कार्यक्रम।
• खुले पशु और पशुधन की चिकित्सा तथा उनके विरूद्ध निवारण कार्यवाही।
• जन्म-मृत्यु एवं विवाह का पंजीकरण।
23परिवार कल्याण• परिवार कल्याण कार्यक्रमों को प्रोत्साहित कर क्रियान्वित करना। 
24आर्थिक विकास के लिए
योजना 
• ग्राम पंचायत क्षेत्र के आर्थिक विकास हेतु योजना तैयार करना।
25प्रसूति एवं बाल विकास • ग्राम पंचायत स्तर पर महिला एवं बाल विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में भाग लेना।
• बाल स्वास्थ्स एवं बाल विकास के पोषण कार्यक्रमों की प्रोन्नत्ति करना।
26समाज कल्याण • समाज कल्याण के तहत मानसिक रूप से विकलांग एवं मंद बुद्धि के बच्चों, व्यक्तियों, पुरुषों तथा महिलाओं की सहायता करना।
• वृद्धावस्था और विधवा पेन्शन योजनाओं में सहायता करना।
27अनुसूचित जातियों एवं
जनजातियों का कल्याण 
• अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों तथा समाज के अन्य कमजोर वगांर् े के लिए विशिष्ट कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में सहयोग करना।
• सामाजिक न्याय के लिए योजनाओं की तैयारी करना तथा क्रियान्वयन करनां 
28सार्वजनिक वितरण प्रणाली • सार्वजनिक वितरण प्रणाली, आवश्यक वस्तुओं के वितरण के सम्बन्ध में सार्वजलिक चेतना की प्रोन्नति करना।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली का अनुश्रवण एवं मूल्यांकन करना। 
29समुदायिक अस्तियों का अनुरक्षण• समुदायिक अस्तियों का परिरक्षण और अनुरक्षण
ग्राम पंचायत के कार्य, एवं शक्तियां 

ग्राम पंचायत के अन्य कार्य 

  1. ग्राम पंचायत व ग्राम सभा की बैठकों की तिथि, कार्यसूचि निश्चित करना तथा बैठकों की कार्यवाही अंकित करना। साथ ही ग्राम पंचायत की विभिन्न समितियों की बैठक करना। 
  2. किये जाने वाले कार्यों की प्राथमिकता तय करना व कार्यों की निगरानी व प्रगति की देख-रेख। 
  3. ग्राम विकास के लिए योजनायें बनाना व सरकार द्वारा तय तरीके के अनुसार निर्धारित समय में उन्हें क्षेत्र पंचायत को भेजना। 
  4. पंचायत द्वारा लगाये जाने वाले करों, पथ करों, शुल्क, फीस की राशि, भुगतान विधि, जमा करने की तिथि निर्धारित करना। प्राप्त होने वाली धनराशियों का लेखा-जोखा रखना। 
  5. ग्राम सभा की बैठकों की कार्यवाही चलाना व अंकित करना। ग्राम सभा द्वारा दी जाने वाली सिफारिशों पर विचार करके निर्णय लेना। 
  6. ग्राम सभा की देख-रेख में चलने वाली सरकारी योजनाओं का नियमों के अनुसार संचालन व निगरानी करना। 

राज्य सरकार द्वारा समनुदेशित कार्य 

  1. पंचायत क्षेत्र में स्थित किसी वन की व्यवस्था व अनुरक्षण।
  2. पंचायत क्षेत्र के भीतर स्थित सरकार की बंजर भूमि, चारागाह भूमि, खाली पड़ी भूमि की व्यवस्था। 
  3. किसी कर या भूराजस्व का संग्रह और संविधान आदि लेखों का रखरखाव। 
  4. सार्वजनिक सड़कों, जलमार्गों तथा अन्य विषयों के सम्बन्ध में ग्राम पंचायतों की शक्ति। 
  5. नये पुल अथवा पुलिया का निर्माण। 
  6. जल मागोर्ं को पास पड़ोस के खेतों को न्यूनतम क्षति पहुंचा कर सार्वजनिक सड़क, पुल, पुलिया को चौड़ा करना, विस्तार करना।
  7. सार्वजनिक सड़क पर निकली किसी वृक्ष या झाड़ी की शाखा को काट सकती है। 
  8. सार्वजनिक जलमार्ग, पीने व भोजन बनाने के लिये उपयोग होने वाला जल यदि स्नान करने, कपड़े धोने, पशु नहलाने या अन्य कारणों से गन्दा हो रहा है तो उसका प्रतिषेद्य कर सकती है। 
  9. सफाई सुधार के लिये ग्राम पंचायत नोटिस द्वारा किसी भूमि अथवा भवन के स्वामी को उसकी वित्तीय स्थिति का सुधार करते हुये नोटिस दे कर तथा उसके पालन का यथोचित समय देकर निर्देश दे सकती है। 
  10. शौचालय, मूत्रालय, नाली, मल, कूप मलवा, कूड़ा को हटाने सफाई करने, मरम्मत करने कीटाणु रहित करने, अच्छी हालत में रखने को कार्य।
  11. हौज, कुन्ड, तालाब, नौले जलाशय, खदान को जो पास पड़ोस के व्यक्तियों के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है दुर्गन्ध युक्त पदार्थ – जैसे गोबर, मल, खाद, आदि को हटाने व पाटने के आदेश दे सकती है। 
  12. जिस व्यक्ति को सफाई का नोटिस पंचायत देती है वह 30 दिन के भीतर जिला स्वास्थ्य अधिकारी को उक्त नोटिस के विरूद्ध अपील कर सकता है। जो उसे बदल सकता है, रद्द कर सकता है, पुष्टि कर सकता है। 
  13. अगर दो या तीन पास पास की पंचायतों में स्कूल, चिकित्सालय, औषधालय नहीं है या अपने सामान्य लाभ के लिये किसी पुल या सड़क की आवश्यकता है तो वे पंचायतें नियत अधिकारी के निर्देश द्वारा इन सुविधाओं के निर्माण या अनुरक्षित करने में सम्मिलित हो जायेगी। राज्य सरकार व जिला पंचायतों द्वारा अनुदान दिये जायेगें, जो नियत हो।

पंचायत सदस्यों की अन्य जिम्मेदारियां 

पंचायत में चुनकर आये प्रतिनिधियों की सबसे पहली जिम्मेदारी है कि गाँव में चुनाव के दौरान हुए आपसी मतभेद को भुलाकर सौहार्द का वातावरण बनाना।

  1. पंचायत की नियमित बैठकें आयोजित करवाना व उन बैठकों में अपनी सक्रिय भागीदारी देना।
  2.  ग्राम सभा की बैठक नियमित समय पर करवाना व उसमें महिला-पुरूषों की भागीदारी सुनिश्चित करना। 
  3. गांव की महिलाओं, पिछड़े व दलित वर्ग के लोगों को विशेष रूप से हर कार्य, निर्णय व योजनाओं के निमार्ण में शामिल करना।
  4. पंचायत के लिये संसाधन जुटाना जैंसे-मानव श्रम की उपलब्धता, धन की व्यवस्था करना, कर लगाना व वसूल करना व इससे पंचायत की आमदनी बढ़ाना। 
  5. पंचायत में आये धन का सदुपयोग करना व उसका लेखा-जोखा पंचायत भवन के बाहर लिखना। 
  6. ग्राम पंचायत के अन्र्तगत क्षेत्र में आने वाले कर्मचारियों के कार्यो की देख-रेख करना। 
  7. जन्म मृत्यु का पंजीकरण करना। अगर पंचाायत अपने स्तर पर विवाह पंजीकरण भी करें तो यह एक अच्छी पहल होगी। 
  8. पंचायत की समितियों का गठन कर उसके सदस्य के रूप में अपने कार्यो व भूमिका का निर्वहन करना। 
  9. पंचायत के प्रतिनिधि गाँव व क्षे़त्र में व्याप्त सामाजिक बुराईयों जैसे- दहेज, बालविवाह, शराब आदि पर प्रतिबन्ध भी लगा सकती है। समाज सुधार की दिशा में यह महत्वपूर्ण कार्य होगा।
  10. अपने क्षेत्र के जल, जंगल, जमीन के संरक्षण व संवर्धन के लिये योजना बनाना व ग्राम वासियों के साथ मिलकर इन प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा व प्रबन्धन करना। 
  11. गाँव में बने अन्य सामुदायिक संगठनों जैसे महिला मंगल दल, स्वयं सहायता समूह या वन सुरक्षा समिति आदि के साथ मिलकर कार्य करना व उनके साथ तालमेल बनाना।
  12. महिला सदस्य गांव में देखें कि गांव की गर्भवती महिलाओं का आंगन बाड़ी रजिस्टर में पंजीकरण व देखभाल की उचित व्यवस्था है या नहीं। आंगनबाड़ी केन्द्र में ए.एन.एमसमय- समय पर आ रही है या नहीं। गर्भवती महिलायें आयरन व फॉलिक एसिड की गोलियां खा रही हैं या नहीं। उनहे नियमित खून की जांच कराने तथा संतुलित आहार लेने के लिए प्रेरित करें।
  13. आंगनबाड़ी केन्द्र का वातावरण स्वच्छ है या नहीं, बच्चों के लिए आवश्यक सामग्री उपलब्ध हो इसका भी ध्यान दें। ए.एन.एम. बच्चों व गर्भवती महिला को आवश्यक टीके दे रही हैं या नहीं। 
  14. ग्राम पंचायत में महिला समूहों की विशेष बैठक करनी चाहिये जिसमें महिलाओं के अधिकारों व सामाजिक बिन्दुओं पर चर्चा करें। 
  15. पंचायतों को देखना होगा कि कोई बाल श्रमिक तो कार्य नहीं कर रहा। बाल श्रमिक को स्वीकारने का मतलब उसे उसकी शिक्षा व खेलने के अधिकार से वंचित रखना। दलित व पिछड़े वर्ग के लोगों खासकर महिलाओं की भागीदारी विकास कार्यक्रमों में सुनिश्चित करें। 
  16. पंचायत की बैठक में गांव के बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के उपायों पर चर्चा करें व ग्राम सभा के लोगों को उससे सम्बन्धित जानकारियां दें। विकलांग बच्चों को विकास सम्बन्धित योजनाओं को भी प्राथमिकता दें। 
  17. गांव के विद्यालय में शिक्षक प्रतिदिन उपस्थित हो रहे हैं या नहीं व बच्चों को पढ़ाते हैं या नहीं इस बात को भी ध्यान रखें। निरक्षर महिलाओं को साक्षर बनाने की जिम्मेदारी पंचायत के पढ़े-लिखे सदस्यों को लेनी होगी। उन्हें पढ़ने-लिखने के लिए प्रेरित करें। 
  18. गांव में चल रही योजनाओं की निगरानी करने की जिम्मेदारी भी पंचायत सदस्यों को निभानी है। ताकि योजना सही ढंग से पूरी हो और उसमें किसी प्रकार की धांधलेबाजी न हो। 
  19. गांव में महिला मंगल दल व युवक मंगल दल को मजबूत व सक्रिय बनाना। उनकी आवश्यकताओं का पंचायत द्वारा ध्यान में रखा जाना चाहिए। 
adoption of child

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